टेकचंद मोना
आज शहर की महिला IPS मोना की शादी की सालगिरह थी
उनका घर पूरी तरह सजा हुआ था
मेहमान एक-एक कर आ रहे थे
और उनको बधाइयां दे रहे थे
तभी उनके गेट पर एक काले रंग की कार आकर रुकी
और उसमें से सूट बूट पहने एक लड़का निकला
उसके हाथों में फूलों का गुलदस्ता था
वो सीधा IPS मोना और उसके पति के पास गया और उनको गुलदस्ता देते हुए कहा
शादी की सालगिरह की बहुत-बहुत बधाई हो मोना और तुम्हें भी कुंदन
अमित तूम यहां
इतना आश्चर्य चकित होने कोई जरूरत नहीं है अमित को मैंने ही इनवाइट किया है कमोन अमित एंजॉय दा पार्टी
फिर कुंदन अमित को बाकी मेहमानों से मिलवाने ले गया
उस रात अमित को अपने घर देखकर जितनी उथल-पुथल मोना के मन में मच रही थी उससे कई ज्यादा उथल-पुथल मोना को सामने देखकर अमित के मन में मच रही थी
अमित को मेहमानो से मिलाने के बाद कुंदन नये आने वाले लोगों के स्वागत के लिए वहां से चला गया था
अमित अकेला ही खाली टेबल पर बैठा हुआ था उसके दिमाग में पुरानी यादें रह रहकर चोट मार रही थी
ये सब कुछ ये हंसता खेलता संसार उसका हो सकता था
कुंदन की जगह आज वो हो सकता था मगर लालच के भूत ने उसे ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया था जहां उसके हिस्से में सिर्फ अकेलापन था अमित जैसे पुरानी यादों में खो गया बात कई साल पुरानी है
अमित कुंदन और मोना एक ही कॉलेज में पढ़ते थे
अमित शहर के जाने-माने रहीस टेकचंद का बेटा था
मोना के पिता एक मामूली किसान थे
और कुंदन के माता-पिता दोनों का ही काफी समय पहले देहांत हो चुका था वो छोटी-मोटी नौकरियां कर अपनी पढ़ाई का खर्चा निकलता था
अमित और मोना एक दूसरे से प्यार करते थे
फाइनल ईयर के एग्जाम होने वाले हैं इसके बाद कॉलेज खत्म हो जाएगा क्या तुमने अपने पापा से बात की हमारी शादी के लिए
अरे इसमें बात क्या करना है
मेरी पसंद मेरे पापा की पसंद है
मैं इसी रविवार को अपने पापा के साथ तुम्हारे घर आ रहा हूं तुम्हारा हाथ मांगने
सच में
और क्या मैं मजाक थोड़ी ना कर रहा हूं ह ह
कहीं तुम्हारे पिता ये तो नहीं कहेंगे ना की शादी के बाद पढ़ाई लिखाई बंद तुम तो जानते हो ना कि मुझे सिविल सर्विस की तैयारी करनी है
ऐसा कुछ नहीं होगा शादी के बाद तुम मन लगाकर अपनी तैयारी करना कोई तुमसे कुछ नहीं कहेगा
अब तो मोना बेसब्री से रविवार का इंतजार करने लगी
रविवार के दिन सही समय पर अमित और उसके पिता टेकचंद
चम चमी कार में मोना के घर पहुंचे
मोना के पापा उनका स्वागत करने के लिए दरवाजे पर ही खड़े थे उनके आने पर मोना के पापा अशोक जी उन्हें अंदर लेकर आए उनका मामूली सा घर देखते ही टेकचंद ने अपने मन में सोचा
अरे बेवकूफ लड़का ये कि घर की लड़की को दिल दे बैठाया है
घर की हालत को देखकर लगता है कि यहां से मुझे दहेज मैं भी फूटी कोढ़ी भी नहीं मिलेगी
चाय नाश्ता करने के बाद
अशोक जी जरा लड़का लड़की को आपस में बातें करने दीजिए और आप जरा मेरे साथ बाहर टहलने चलिए
फिर अशोक जी और टेकचंद बाहर चले गए
ह ये तुम्हारे पिता मेरे पापा को बाहर क्यों ले गए कहीं मेरी शिकायत तो नहीं करेंगे की लड़की देखने में ऐसी है वैसी है
अमित इस बात पर कुछ नहीं कहता बस मुस्कुरा दिया थोड़ी देर टहलने के बाद अशोक जी और टेकचंद अंदर आयें है अशोक जी के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी
भाई अशोक जी रिश्ता तो हमें मंजूर है मगर आप मेरी बात का ध्यान रखिएगा जो बाहर मैंने आपसे जो बात कहीं है ह
इसके बाद शादी की तारीख तय करके टेकचंद और अमित वहां से चले गए।
क्या हुआ पापा आप कुछ घबराए हुए से लग रहे
कुछ नहीं बेटा बस थोड़ा दुखी था कि अब तुम मुझे छोड़ कर चली जाएगी
दिन बीते महीने बीते और आखिर शादी की तारीख भी आ गई
शादी वाले दिन सभी मेहमान पहुंच गए कुंदन को भी शादी का निमंत्रण मिला था
वो भी वहां आया हुआ था मोना दुल्हन के लिबास में सजी-धजी मंडप में आई अमित पहले से ही मंडप पर बैठा था फेरो का समय हो रहा था तभी मोना की नजर अपने पापा और टेकचंद पर पड़ी
फिर अशोक जी ने अपनी पगड़ी निकाल कर टेकचंद के पैरों में रख दिया टेकचंद पगड़ी को लात मारता हुआ चिल्लाया
अरे पैसे नहीं थे तो अपनी हैसियत के हिसाब से लड़का देखना चाहिए था ना
मैंने उसी दिन कह दिया था कि 20 लाख से एक पैसा कम नहीं लूंगा
और आज तुम कह रहे हो कि सिर्फ 7 लाख का ही इंतजाम हो पाया है
अरे मेरे बेटे के लिए तो कई रिश्ते आ रहे हैं जब 50 लाख तक देने को तैयार है वो तो मेरा बेटा तुम्हारी बेटी से प्यार करता था
इसलिए मैंने इस रिश्ते के लिए हामी भरी थी मगर अब ये शादी नहीं हो सकती थी
ये सब मत कीजिए मेरी और मेरी बेटी को सबके सामने बदनाम मत कीजिए
मगर टेकचंद ने कुछ नहीं सुना और अपने बेटे अमित से कहा
अमित उठ मंडप से हम अभी यहां से जाएंगे
अपने पिता के सामने अमित की बोलती बंद थी वो चुपचाप उठ गया उसे इस तरह उठता देख मोना का तो जैसे दिल ही रो पड़ा
प्यार की इतनी बड़ी बड़ी बातें करने वाला आज एक ही झटके में सारे रिश्ते तोड़ कर जा रहा था भर आये घर से मोना सिर्फ कह पाई
अमित तुम भी
इसके बाद उसकी आंखें भीग गई और वो कुछ नहीं कह पाई टेकचंद अमित और बारात के साथ वापस लौट गया
धैर्य रखो बेटा मैं ये फिर टेकचंद से बात करूंगा
नहीं पापा अब उस लालची बाप बेटे से कोई बात नहीं करनी है
मैंने फैसला कर लिया है कि मैं अमित की या उसके परिवार से कोई रिश्ता नहीं रखुगी
मैं जान गई हु कि ये पापा सब पैसो के लालची लोग हैं
इनके सामने प्यार और जद बातों के अहमियत नहीं है मैंने सोच लिया है कि अब मैं अपना सपना पूरा करूंगी और IPS बनुगी
तभी पीछे से आवाज आई
और इस सपने को पूरा करने में मैं तुम्हारा साथ दूंगा मोना
मोना और अशोक जी ने मुड़कर देखा तो वहां कुंदन खड़ा था
कुंदन तूं
हां मोना मैं तुमसे शादी करूंगा अगर तुम्हें मनझुर हो तो
मोना के चेहरे पर मुस्कान तैर गई उसने सिर झुकाकर हां भी भर दी फिर क्या था उसी मंड़प में सारे विधि विधान से कुंदन और मोना की शादी हो जाती हैं
सालगिरह की पार्टी में कुंदन की आवाज से अमित का ध्यान भंघ होता है
कहा खोये हो अमित चलो खाना खाते हैं
कुंदन काश मैंने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई होती तो आज ये प्यारा सा संसार मेरा होता
गलती पिता जी की नहीं थी जो उन्होंने लालच किया था गलती मेरी थी जो मैं उनकी लालच के आगे हार गया
मगर अब पछताने से क्या होता है जिनके नसीब में प्यार होता है उन्हें प्यार मिल ही जाता है
जो पैसो के प्यार को अहमियत नहीं देते उन्हें अकेले ही सारी जिंदगी काटनी पड़ती है
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