राजेश सुधा
नागपुर गांव में राजेश अपनी पत्नी सुधा और अपने दो बच्चों के साथ रहता है
जिनके नाम जया और महक होते है
राजेश अमित चंद जी नाम के
एक अमीर सेठ के यहां काम करता है
अरे राजेश
तुम मेरे सभी नौकरों में से बहुत ही इमानदार और वफादार नौकर हो
और तुम मेरा
सभी काम अच्छी तरह करते हो
विश्वसनीय भी हो
धन्यवाद तुम्हारा
अरे सेठ जी
ये क्या कह रहे हो
धन्यवाद तो मुझे आपका करना चाहिए
आप कितने अच्छे इंसान हैं
जो हम गरीबों के लिए इतना सोचते हो
अमित चंद जी को
मोहन पर बहुत भरोसा था
और मोहन भी अपना काम इमानदारी से करता था
मोहन अपने बच्चों के लिए
हर दूसरे दिन
कुछ ना कुछ बाहर से
कुछ खाने को लाया करता था
जया महक
ये देखो
तुम्हारे लिए तुम्हारे पापा
ये क्या लाए हैं
क्रीम रोड
गर्म जलेबी
पूडी कचौरी और मालपुए भी
अरे वा पापा
क्या बात
आज तो मजा ही आ गया
जी आप भी ना
इन्हें ये सब दे देखकर बिगाड़ दोगे ना
घर का खाना तो
इनसे खाया ही नहीं जाता
बाहर का चाहे जितना दे दो
वो सब
इस तरह मिलजुल कर खुशी खुशी अपना जीवन गुजार थे
सुधा बहुत ही पूजा पाठ करती हैं
वो हर मंगलवार को
पूड़ी सब्जी बनाकर गांव के भाव्य मंदिर में
भोग लगाती थी
और सभी भक्तों में
वो प्रसाद बांटा जाता है
सभी को उसके हाथ के बने
पूडी सब्जी बहुत पसंद आते है
बिटिया पूनम
तुम्हारे हाथ की बनी
पुड़ी सब्जी सभी को बहुत पसंद आती है
तुम बिटिया
हर हफ्ते बहुत सारा भोग बनाकर लाती हो
और जरूरतमंद लोगों को भी बांटती हो
मां दुर्गा
तुम पर अपनी कृपा बनाए रखें
तुम सदा खुश रहो
तुम्हारा हाथ बना रहे
धन्यवाद पंडित जी
आपका आशीर्वाद
सदा मेरे पे और मेरे परिवार पर
ऐसे ही बना रहे
इस तरह दोनों की जिंदगी खुशहाल चल रही होती है
लेकिन फिर एक दिन अचानक
अमित चंद जी के घर से
20 लाख रुपए की चोरी हो जाती है
अमित चंद जी बहुत घबरा जाते हैं
वो अपने सभी नौकरों को बुलाते हैं
और सभी की तलाशी करते है
और उन्हें राजेश के थैले से 10 लाख रुपए मिलते हैं
ये देखकर अमित चंद जी
राजेश से कहते हैं
अरे मोहन
तुमने मेरा पैसा चुराया
20 लाख के सिर्फ 10 लाख ही है
तेरे पास बाकी के 10 लाख कहां है
अरे बेशर्म
मैं तुम पर कितना विश्वास करता था
तुमने ऐसा क्यों किया
तुम्हें पैसे चाहिए थे
तुम मुझसे कह देते
लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए था
आज तुमने मेरा भरोसा तोड़ दिया
साहब मैं कुछ नहीं जानता
मेरा विश्वास कीजिए
माता रानी की कसम
मैंने कोई चोरी नहीं की
मेरे थैले में
ये रुपए कहां से आए है
मेरे को नहीं पता
मुझ पर भरोसा कीजिए सेठ जी
मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं
अब तो तुझे इसकी सजा मिलकर ही रहेगी
तूने गुनाह किया है
जब पुलिस तुझसे पूछताछ करेगी
तो बाकी के 10 लाख रुपए भी निकल जाएंगे
तेरे पास ही
तुझे तो अब मैं बिल्कुल नहीं छोडूंगा
इतना कहकर
वो पुलिस को फोन लगा देता है
और पुलिस भी बेकसूर
राजेश को जेल में डाल देती है
जब उसकी पत्नी सुधा को
इस बात का पता चलता है
तब वो
फोरन पुलिस स्टेशन पहुंचती है
और अपने पति से कहती है
आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए
मैं जानती हूं
आप निर्दोष है
देवी मां भी जानती है
आप बिल्कुल भी चिंता ना करें
मैं वकील करूंगी
और केस लडूंगी
मैं पूरी कोशिश करूंगी
आपको जेल से बाहर निकालने की
अब कुछ नहीं हो सकता सुधा
तुम जया और महन का ध्यान रखना
मेरी गलती ही क्या थी
मैंने तो हमेशा इमानदारी से काम किया है
उसका ये सिल सिला दिया है मेरी किस्मत ने
मैंने आपसे कहा ना
हम हिम्मत नहीं हारेंगे
मैंने कहा ना आप से
आपकी बीवी सब ठीक कर देगी
सुधा फिर मंदिर जाती है
और अम्बे मां से प्रार्थना करती है
हे अंबे मां
आप और मैं
दोनों जानते हैं
मोहन जी
ऐसी गलती नहीं कर सकते
और वो ऐसा घटिया काम कभी नहीं करेंगे
मुझे अपने पति को निर्दोष साबित करने में मदद चाहिए मां
अंबे मां
अंबे मां आपको मेरा साथ देना होगा
सुधा लोहयर गायर करने जाती है
तभी वो कुछ सोचने लगती है
अंबे मां
मैंने ये तो सोचा ही नहीं
वकील को हायर करने के लिए पैसे चाहिए
उसका भी इंतजाम करना होगा
अब मैं क्या करूं
इतने पैसे कहां से लाऊं
तभी वहां महक और जया
अपनी अपनी गुल्लक लेकर आते हैं
अपने मासूम हाथों से अपनी मां को देते हुए कहते हैं
ये हमारी गुल्लक है
आप इसमें से सारे पैसे ले लो
मां हम जानते हैं पापा बेकसूर है
आप ये पैसे ले लो
और पापा को जेल से
घर ले आओ
हमें पता है पापा को
पुलिस अंकल पकड़ कर लेकर गए हैं
जबकि पापा निर्दोष है
हमारे पापा
कभी ऐसा काम नहीं करेंगे
क्योंकि वो हमारे पापा हैं
अपने बच्चों की बातें सुनकर सुधा भावक हो जाती है
सुधा दोनों बच्चों को सीने से लगा लेती है
और कहती है
मेरे बच्ची
तुम्हारे पापा को कुछ नहीं होगा
पापा जल्दी ही घर आ जाएंगे
वो पैसा जुटाना के लिए बहुत चिंतित होती है
वो कई सारे लोगों से
पैसे की मदद मांगती है
लेकिन उसकी कोई मदद नहीं करता
वो हार कर
एक पेड़ के नीचे बैठती है
तब उसके मन में
एक विचार आता है
मैं पूड़ी सब्जी बनाकर मंदिर में भोग लगाती हूं
और अंबे मां की कृपा से
और सभी को अच्छे भी लगते है
क्यू ना मैं
एक सब्जी पूड़ी का ठेला लगा लूं
और फिर उसे बेचकर जो पैसे आएंगे
उसी से
मैं वकील हायर कर लूंगी
हां
ये ही सही रहेगा
ऐसा करके ही
मैं उन्हें बचा सकती हूं
फिर वो ठेला लगाने लगती है
सुधा ने पूड़ी सब्जी का ठेला लगाया ही था
थोड़ी ही देर में
उसके ठेले पर
काफी भीड़ हो जाती है
सभी ग्राहक सुधा के हाथ के बने
पूड़ी सब्जी तारीफ करते करते थकते नहीं
वो बड़े चाव से खाते हैं
आ हां हां
एकदम लाजवाब बहन जी
सुधा बहन
एकदम लाजवाब बनी है
पूडी सब्जी हां आ
तुम्हारे हाथ में तो जादू है जादू आ
साक्षात अन्नपूर्णा का आशीर्वाद है तुम्हारे ऊपर
धन्यवाद भाई साहब
इस तरह सुधा
बहुत अच्छे पैसे कमाती है
और एक हफ्ते के अंदर
लोहयर को हायर कर लेती है
और कोर्ट में पेशी होती है
अदालत की कार्रवाई शुरू की जाएं
माफी चाहता हूं सर मैं
अमीर चंद जी
अभी तक कोर्ट में नहीं आई है
तभी अमित चंद जी
वहां आ जाते हैं
और कट भरे राजेश के पास पहुंचते हैं
और उसे गले लगा लेते हैं
सभी इस दृश्य को देख
हैरान रह जाते हैं
जज कहते हैं
ये सब क्या है
अमित चंद जी बोलिए मत
ये कोर्ट है
और इस आदमी पर ही आपने पैसे चुराने का इंनजाम लगाया हैं
नहीं ये चोर नहीं है
राजेश बेगुनाह है
ये लीजिए पैनड्राइव
इसमें सब कुछ केहद है
मेरे कमरे में एक कोपीयर कैमरा भी लगा है
ये रिकॉर्डिंग उसकी ही है
मैंने ये सीसीटीवी कैमरा चेक किया
तो मेरे सामने सारा सच आ गया
फिर लोहयर और जज वो पेन ड्राइव की फुटेज देखते हैं
तब मालूम पड़ता है
चोरी तो दूसरे नौकर लखन ने की है
और लखन ने 10 लाख रुपए ले लिए
और 10 लाख रुपए राजेश के थैले में डाल दिए
जिससे कि राजेश पर शक जाए
ये सब के बाद कोर्ट
इस केस को खारिज कर देता है
और लखन को गिरफ्तार करने का आदेश देती है
मुझे माफ कर दो मोहन
ना जाने क्या-क्या कहा तुम्हें
मेरे कारण तुम्हें
जेल में 1 हफ्ते तक रहना पड़ा
जबकि तुम निर्दोष थे
दुनिया में तुम जैसा कोई नहीं है
तुम अच्छे हो राजेश
सच्ची ईमानदारी तो
तुमने दिखाई है भाई साहब
लास्ट मौके पर आकर
सच कहूं तो सबके सामने लाने
आखिर मां अंबे ने सब कुछ ठीक कर दिया
जय अंबे मां
अमित चंद जी और राजेश
फिर से काम करने लगते हैं
सुधा भी अपनी पूड़ी सब्जी का थैला बराबर चलाती है
और दोनों खूब प्रगति करते हैं
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