अमीरी गरीबी

 जयपुर शहर के महाराजा कॉलेज में पढ़ने वाली नेहा और पूनम बेस्ट फ्रेंड थी

 उन दोनों में जमीन आसमान का फर्क था


नेहा जहां एक बड़े अमीर घर से तालुक रखती थी

 वही पूनम एक गरीब घर की लड़की थी


भले ही उन दोनों में 

अमीरी गरीबी का काफी फर्क हो 

लेकिन दोनों में 

सगी बहनों से भी ज्यादा प्यार था  


कॉलेज में साथ बैठना  खाना पीना 

सब काम वो साथ में करती थी




एक रोज कॉलेज खत्म होने के बाद

 दोनों अपने-अपने घर जाने के लिए निकलती है


तब बहुत तेज बारिश होने लगती है


पूनम बस स्टैंड पर

 बस का इंतजार कर रही थी

 तभी नेहा अपनी कार लेकर वहां पहुंच जाती है

 और कार का शीशा नीचे करती हुई बोलती है




अरे पूनम 

चल जल्दी से आकर कर में बैठ जा

 नहीं तो भीग जाएगी



ठीक है



अच्छा सुन 

तू कह रही थी ना की आंटी कहीं जाने वाली है   शाम तक घर आएगी 


तो तू चल मेरे ही घर पर

 डिनर कर ले फिर शाम को

 मेरा ड्राइवर तुझे घर ड्रॉप कर  देगा 

प्लीज यार मना मत करना



अच्छा ठीक है  

जैसा तुझे ठीक लगे




कुछ देर में दोनों सहेलियां नेहा के घर पहुंच जाती है

 घर पहुंच कर नेहा पूनम से कहती है




यार तू 

आज पहली बार मेरे घर आई है

 बता क्या खायेगी



अरे बाप रे

 ये घर है या महल है 

सुख सुविधाओं का सारा सामान है यहां तो



अरे किन सपनों में खो गई 

बता भी तो 

क्या खायेगी




कुछ भी चलेगा




चल आज

 मैं तुझे अपने हाथ से बना कर कुछ खिलाती हूं


लेकिन उसके लिए तुझे मेरी हेल्प करनी होगी




हां हां मैंने कब मना किया है




तो चल मेरे साथ किचन में





नेहा पूनम को अपनी किचन में ले जाती है

नेहा का किचन फुल मॉड्यूलर होता है 

जिसमें एक से बढ़कर एक क्रोकरी का सेट

 बर्तन धोने के लिए डिशवाश मशीन 

अलमारी जितना बड़ा फ्रिज 

ओवन टोस्टर मशीन होती है




पूनम उसके किचन को देखकर तंग रह जाती है


 और मन ही मन सोचती है 




वो

 यहां पर तो कितना कुछ है 

आज तक जिन चीजों के बारे में सिर्फ सुना था 

आज  उन्हें अपनी आंखों से देख भी लिया




ओ 

अब फिर तू कहां खो गई यार

 कब से पूछ रही हूं 

क्या खायेगा क्या खायेगी



कुछ भी 

जो भी तुझे बनाना आता है बना दे




मुझे तो मैगी बनानी आती है

 इसके अलावा कुछ भी बनाना नहीं आता 

हम  दोनों के लिए

 यही बना लेती हूं




वो ये कह रही होती है 

तभी नेहा की मां लक्ष्मी बाजार से आ जाती है




नेहा लाडो 

पूनम बेटी आज पहली बार अपने घर आई है


 और तू उसे मैगी बनाकर खिलाएगी


 एक काम करो

 तुम पूनम को लेकर अपने रूम में जाओ


 रामू काका अभी बाजार से सब्जी लेकर आ रहे हैं


 मैं उन्हें कुछ बढ़िया सा बनाने के लिए बोलती हूं



नमस्ते आंटी 

आप मेरी फिक्र मत कीजिए 

मैं कुछ भी खा लूंगी




नमस्ते बेटा

 ऐसे कैसे कुछ भी खा लोगी


 आज पहली बार मेरे घर आई हो

 

इसलिए बिना  डिनर किये तो 

मैं तुझे जाने नहीं दूंगी 


 चलो अब तुम दोनों रूम में बैठकर बातें करो 

मैं नौकरों से कहकर 

डिनर रेडी करवाती हूं












कुछ देर बाद

लक्ष्मी नौकर के हाथ में 

उनके लिए स्नेक्स में पास्ता जूस और कबाब भिजवाती है



और फिर डिनर में शाही पनीर

 फ्राई गोभी 

बूंदी रायता 

सलाद और मीठे में खीर

 और गुलाब जामुन परोसती है

 इतना लाजवाब खाना पूनम ने आज तक नहीं खाया



वो घर पर डिनर करती है उसके बाद 

नेहा का ड्राइवर

 उसे घर ड्रॉप कर देता है


जहां पूनम की मां सरिता उसका इंतजार कर रही होती है



अरे बेटा आ गई 

अच्छा हुआ 

तू नेहा के घर चली गई थी


 मैं तो बारिश में बिकते-बिकते

 अभी घर पहुंची हूं 


जहां गई थी 

वहां भंडारा हो रहा था 

वही लेकर आई हूं


 चल अब हाथ मुंह धोकर

 पूडी सब्जी खा ले 

फिर सोएंगे



मां आप खा लो 

 मैं नेहा के घर से   डिनर करके आई हूं



चलो ठीक है 

मैं इन्हें खा लेती हूं 


अरे ये क्या बारिश में पूडी थोड़ी भीग गई है 

मैं इन्हें गर्म कर लेती हूं




बहुत देर के बाद लकड़ियां 

और उपले लगाने के बाद 

सरिता के घर का चूल्हा जलता है 


एक कोने में बैठी पूनम 

ये देखकर मन ही मन सोचती है



कितना फर्क है अमीर और 

हम गरीब की रसोई में 


जहां अमीर को खाना 

गर्म करने के लिए 

सिर्फ ओवन का स्विच ऑन करना होता है

 और झट से खाना गर्म हो जाता है 


 वही एक गरीब को रोटी सीखने के लिए

 कितनी जादोजहत करनी पड़ती है




फिर उसकी नजर अपने रसोई में रखे डबो पर जाती है

 जिनमें ना के बराबर राशन होता है



एक और अमीरों का घर होता है

 जहां दुनिया भर का समान है 

जहां ये समझ में नहीं आता कि क्या खाये और क्या नहीं 

और एक हम गरीबों की रसोई होती है



ऐसे ही वक्त बिता 

पूनम पढ़ाई में काफी अच्छी थी 

और वो ऐसे ही नेहा की मदद किया करती थी



नेहा और पूनम के एग्जाम आने वाले थे

 पूनम अक्षर पूर्ण कॉलेज खत्म होने के बाद

 नेहा की मदद करने के लिए उसके घर जाया करती थी


एक दिन 

दोनों पढ़ाई कर रही होती है

 तभी नेहा पूनम को बोलती है




पूनम यार

 मैं पढ़ाई करते-करते थक गई हूं

 

जा यार फ्रीज  में

 नारियल पानी के टेट्रा पैक रखी है 


जरा अपने लिए

 और मेरे लिए लेते आ




इसके बाद पूनम किचन में जाती है 

और फ्रिज खोलती है 

तो देखी है 

उसमें डॉन सामान जैसे कोल्ड ड्रिंक 

फ्रूट जूस और भी बहुत कुछ रखा हुआ होता है




अरे बाप रे 

ये फ्रीज तो

 किसी अलमारी से भी बड़ा है 

और इसमें इतना सारा सामान


 ये तो ऐसे लग रहा है कि किसी माल की बड़ी सी दुकान हो

 इसमें तो दुकान की तरह कितनी चीज रखी हुई है खाने की 

और एक हम गरीबों की रसोई है 

जिसमें फ्रिज के नाम पर 

एक पानी का मटका ही रखा हुआ होता है



ये सोचकर पूनम फ्रीज से नारियल पानी लेती है 

और चली जाती है



फिर शाम को 

लक्ष्मी अपने कुक से कहती है

 


सुनो रामू आज खाने में 

चिकन कोरमा  

 कड़ाई पनीर 

  बूंदी रायता 

लच्छा पराठा 

और बटर नान बना देना 

और मीठे में गुलाब जामुन और रसमलाई बना देना



जी मालकिन 

और जो दोपहर का खाना बचा है

 उसका क्या करना है



अब हम बासी खाना थोड़ी ना खायेगे

उसको तुम फेंक देना




वहीं खड़ी नेहा और पूनम लक्ष्मी की सारी बातें सुन रही होती है



पूनम बेटा डिनर रेडी हो रहा है

 तुम दोनों तब तक अपनी पढ़ाई कंप्लीट करो 

फिर हमारे साथ ही डिनर कर लेना



नेहा के घर पर पढ़ाई खत्म होने के बाद 


पूनम उनके घर डिनर करती है

 और फिर अपने घर चली जाती है

 जहां पहुंचकर वो देखती है 

कि उसकी मां बड़ी देर से चूल्हा जलाने की कोशिश कर रही होती है

 फिर जाकर उसके घर का चूल्हा जलता है 

फिर उसकी मां रोटी बनाने के लिए 

आटा देखी है तो आटा आज के दिन का ही बचता है

 ये देखकर उसकी मां सरिता सोचती है



हे राम 

ये तो जरा सा ही आटा है 

ऐसा करती हूं पूनम के लिए रोटी बनाकर रख देती हूं 

और फिर अपने हिस्से का आटा

 उसके लिए सुबह के लिए रख देती हूं



अपनी मां की बातें सुनकर 

पूनम की आंखों में आंसू आ जाते हैं



तभी सरिता की नजर पूनम पर जाती है



पूनम बेटा आ गई तू 

तेरे लिए खाना लगा दूं क्या



नहीं मां 

मुझे भूख नहीं है 

आप ही खा लो




नेहा के घर कुछ खाकर आ गई होगी तू 

इसलिए तुझे भूख नहीं है

 वैसे भी तुझे तरह-तरह के लजीज खाने की आदत लग गई है तो 

 अब गरीब की रसोई का खाना 

कहां से पसंद आएगा



ऐसी कोई बात नहीं है मां 

आप देखना

 मैं एक दिन आपको बहुत सारी खुशियां दूंगी मां

 मैं इस अमीर और गरीब की रसोई का फर्क जरूर मिटा दूंगी



अरे क्या हो गया तुझे



कुछ नहीं मां 

नेहा के घर पर तो इतना खाना बनता है 

कि सोचा जाता है कि क्या खाएं 

और क्या नहीं

 और उनके यहां तो इतना खाना बचता है 

कि इससे हमारे पूरे सप्ताह का काम चल जाएगा




बेटा ऊपर वाले ने

 सबके नसीब में एक जैसा सुख नहीं लिखा




अगले दिन पूनम अपने घर पर बैठकर पढ़ाई कर रही होती है 

तभी नेहा और लक्ष्मी वहां आ जाती है



पूनम आज तू अकेले-अकेले ही पढ़ाई कर रही है

 आज तो नहीं आई

 इसलिए हमने सोचा 

आज हम ही आ जाते हैं तेरे घर पर पढ़ाई करने 

और सरिता आंटी के हाथ का बना खाना खाने


अब तू तो कभी बुलाती नहीं है खाने पर

 इसलिए मैं और नेहा खुद ही आगे 

खाने के लिए



ये हमारी तरफ से थोड़ी सी मदद है 

ये कोई एहसान नहीं 

बल्कि मेरी तरफ से पूनम के लिए आशीर्वाद समझ लेना

 और पूनम बेटा एक बात हमेशा याद रखना 

रसोई चाहें अमीर की हो या गरीब की हो

 जब एक मन वहां खाना बनाती है

 तो उसका मोल कोई अमीर नहीं लग सकता

 चल सरिता बहन जी 

खाना बना ले

 मेरे पेट में तो चूहे कूद रहे हैं




इसके बाद 

वो दोनों मिलकर रोटी सब्जी बनाते हैं

 और फिर सभी खुशी-खुशी साथ में मिलकर खाना खाते हैं






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