सुलेखा की शादी नागपुर में सुभाष के साथ 7 साल पहले हुई थी सुभाष बहुत ही एरियल स्वभाव का था सुभाष हर वक्त सुलेखा को तने मारता
की 7 साल की शादी में अभी तक एक भी बच्चा उसने पैदा नहीं किया
सुलेखा बहुत दुखी रहने लगी
1 दिन सुभाष सुलेखा को छोड़कर चला गया सुलेखा को पता चला कि सुभाष दूसरी शादी करके किसी और के साथ रहने लगा है सुलेखा को कुछ समझ नहीं आया कि इतना बड़ा दुख लेकर वो अपनी माँ के पास कैसे जाए
क्योंकि उसकी बुङी माँ पहले ही बीमार रहती थी क्योंकि सुलेखा के पास और कोई चारा नहीं था वो अपने मां के घर चली जाती है
सुलेखा बेटी तु अचानक
क्या हुआ और दामादजी नहीं आए
माँ वो मुझे छोङ कर चले गये
इन्होंने किसी और से शादी कर ली
क्योंकि मैं उन्हें बच्चा नहीं दे पाई।
सुलेखा रोने लगती है उसका दुख देखकर जानकी सदमे में रहने लगती है
सुलेखा को एक-दो दिन आये हुए होते है अचानक काम करते हुए सुलेखा बेहोश हो जाती है
जानकी बराबर में रहने वाली हकीम को बुलाती है
आपकी बेटी माँ बनने वाली है ये पेट से है क्या हाकिम जी मेरी बेटी मां बनने वाली है
सुलेखा तू मां बनने वाली है बेटी
मां मै क्या करू मेरा जीवन एक ऐसे दोराहा पर आकर खड़ा हो गया है जिसमें पीछे मोड़ने का कोई फायदा नहीं है मुझे अब इस बच्चे के लिए खुद जिम्मेदारी संभालनी है एक गर्भवती मां का प्यार मेरे बच्चे को मां बाप दोनों का प्यार देगा
सुलेखा के साथ जो भी गलत हुआ था वो उसको दोबारा याद नहीं करना चाहती थी
धीरे-धीरे दिन बीते गई सुलेखा को पैसे की जरूरत थी इसलिए वो घरों में चौका बर्तन का काम करने लगी सारा दिन घरों में करके वो थकि हरि घर लोटती थी।
गर्भवती होने के कारण उसे काम करने में तकलीफ तो होती थी पर उसे बच्चे के लिए मेहनत करनी थी
9 महीने बाद सुलेखा एक बेटे को जन्म देती है बेटे को देखकर सुलेखा की आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं
बेटे के जन्म से सुलेखा को जीने का सहारा मिल जाता है पर सुलेखा की मां उम्र और बीमारी के चलते बेटी का साथ नहीं निभा पाती सुलेखा की मां देहांत हो जाता है
सुलेखा माँ के बिना अधूरी हो गई थी सुलेखा ने दोबारा काम पर जाना शुरू कर दिया अब वो अपने बेटे सुमित को भी काम पर साथ ही लेकर जाती हैं एक दिन
सुलेखा तुम एक छोटे बच्चे के साथ काम पर आती हो सारा ध्यान तो तुम्हारा इसके देखभाल मैं लगा रहता है वैसे तो तुम कोई काम नहीं कर पाओगी तुम अपना हिसाब कर लो कल से काम पर मत आना
मैं क्या करूं मेरे सारे घर धीरे-धीरे छूट गई पैसे भी खत्म हो गए
मुन्ना रो मत
मैं तेरे लिए अभी दूध लाऊंगी
सुलेखा अपने बेटे के लिए दूध लेने चली जाती है
भैया थोड़ा सा दूध मिलेगा मेरा बच्चा बहुत भूखा है
मुफ्त मैं तो मैं तुझे दुध नहीं दूंगा
हाँ एक काम कर वो जो दुध के वो बड़े डब्बे रखे हैं ना
हाँ वो सारे डिब्बे अच्छे से धो दे
और बदले में अपने बच्चे के लिए दूध ले जा
सुलेखा सारे डिब्बे धो देती है और अपने बेटे सुमित को दूध पिलाती है
मुश्किल भारे दिनों में भी एक माँ ने अपना साहस नहीं खोया था
एक रात जब सुलेखा अपनी झुकी में सो रही होती हैं
अरे अरे उठो उठो बस्ती में आग लग गई है
झुकियो से बाहर आओ सब
अरे जल्दी उठो
सुलेखा ओ बेटी सुलेखा जल्दी से बाहर आ
झुकियो में आग लग गई है
अरे ये आग कैसे लगी
मैं कैसे झुकियो से बाहर निकलूं
अरे मेरा बच्चा मैं कैसे जाऊँ
इस झुकियो से बाहर दरवाजे पर तो आग है ये
ये चादर लपेट देती हूं
हा मुन्ने को हाँ ये ठीक रहेगा
सुलेखा जैसे-जैसे सुमित को बचाते हुए झुकियो से बाहर निकलने लगती है तभी एक जली हुई लकड़ी सुलेखा के मुँह पर गिर जाती है सुलेखा अपनी परवाह किए बिना सुमित को झुकी सी बाहर सुरक्षित ले आती है
पर सुलेखा का मुँह एक तरफ से आग की वजह से जल जाता है सुलेखा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने चेहरे का इलाज करवा पाए इसलिए उसका चेहरा देखने मैं भद्दा हो जाता है
पर सुलेखा इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं करती है उसे यही सुकून होता है कि उसने अपने बेटे की जान बचाई और भगवान की कृपा से उसके बेटे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा
दिन भितने लगते हैं अब सुमित स्कूल जाने लगा था और सुलेखा चाहती थी की सुमित पढ़ लिख बहुत ही बड़ा आदमी बने इसलिए वो दिन रात मजदूरी करके मेहनत करती रहती थी एक दिन
अरे राजू आजा
रुक मैं अभी अपनी कॉफी लेकर आया तब तक तू कमरे में बैठ
नहीं सुमित तुम मुझे कॉफी यही दे दे
मैं अंदर नहीं आ रहा वो तुम्हारी माँ को देखकर मुझे बहुत डर लगता है
और रात को नींद भी नहीं आती उनका चेहरा बहुत ही डरावना है
अच्छा ठीक है राजू
अरे सुमित तुम्हारे दोस्त राजू आया था पर घर के अंदर क्यों नहीं आया
वो आपके डरावने और बदसूरत चेहरे से घबराता है
सिर्फ वही नहीं मेरे सारे दोस्त आपका इतना खराब चेहरा देखकर डर जाते हैं
मानो जैसे किसी भूत देख लिया हो तभी मेरा कोई दोस्त मेरे घर आने के लिए हा नहीं बोलता
आपकी वजह से मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है माँ
पता नहीं मेरी जिंदगी में ऐसी मां क्यों लिखी है
लोगों की मां बहुत ही सुंदर होती है पर मेरी मां बदसूरत क्यों है
सुमित गुस्से से कमरे में चला जाता है सुलेखा रोने लगती है पर वो उसे वक्त कुछ नहीं बोलती
समय ने अपनी चाल पकड़ी और सुलेखा की मेहनत से सुमित पढ़ लिख कर एक ऑफिस में नौकरी पर लग गया सुलेखा को लगा की सायद अब उसकी किस्मत के दिन उसके पलटने वाले सुमित की नौकरी लग गई है और घर का खर्च उठाएगा और सुलेखा को आराम मिलेगा और वो बेटे का सुख भोग सके
सुमित अपने ऑफिस की लड़की राशि जिससे वो प्यार करता था शादी कर लेता है सुलेखा बेटे की खुशी के खातिर कुछ नहीं बोलती
1 दिन सुमित ऑफिस के काम से बाहर गया होता है राशि अपनी कुछ सहेलियों को घर पर बुलाती है
माजी आज मेरी कुछ सहेलियां लंच पर आ रही है
आप प्लीज उनके सामने अपना ये बदसूरत चेहरा लेकर बिल्कुल मत आना वर्णा मुझे सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा
एक काम करो आप
अपना मुंह ढखलो जिससे की मेरी सहेलियों को आपका चेहरा नजर नहीं आएगा आप जल्दी से सारा लंच बनाकर रख दो
तब मैं तैयार होकर आती हूं मेरी सहेलियां आने वाली होगी
बेचारी सुलेखा कुछ नहीं बोलती और उदास मन से रसोई में खाना बनाने चली जाती है दोपहर में राशि की सहेलियां लंच पर आती है तभी सुलेखा वहां सब्जी का कटोरा लेकर आती है और वो जैसे ही एक लड़की को सब्जी देने लगती है
ये कौन है
ये मेरी नौकरानी है
अच्छा तो खाना उन्होंने बनाया है बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाया है आपने
ये सुनकर सुलेखा घबरा जाती है और उसके हाथ से सब्जी लड़की के कपड़ों पर गिर जाती है
लड़की सुलेखा का मुंह देख लेती है और डर जाती है उसकी चीख निकल जाती है वो कहती है
कितना बदसूरत चेहरा
मुझे नहीं खाना इनके हाथ का खाना
फ्रेंडस आपने इनका चेहरा देखा है
अगर देखोगे तो 10 दिन तक सो नहीं पाओगे
अरे ऐसे कैसे तुम लोग जा सकती हो खाना तो पूरा खाकर जाओ
नहीं नहीं हमें अब भूख नहीं है हम लोग अब चलते हैं
करा दि ना मेरी बेइज्जती मेरी सहेलियों के सामने
आपसे बार कहा था मैंने कि अपना ये महनूस चेहरा मेरी सहेलियों के सामने बिल्कुल मत लाना
पर आपने मेरी एक नहीं मानी आने दो सुमित को
मैं अब इस घर में एक पल नहीं रह सकती
सुमित के आने के बाद राशि तरह तरह की बातें बना कर सुलेखा के खिलाफ उसे भड़काती है
सुमित अब मैं एक पल भी इस घर में और नहीं रह सकती अगर तुमने अलग रहने का फैसला नहीं लिया तो मैं तुम्हें छोड़कर अपनी मम्मी पापा के घर चली जाऊंगी
माँ हम और अब आपके साथ नहीं रह सकते हमारा भी अपना जीवन है हमारा भी अपना अलग परिवार बनेगा
जब हमारे बच्चे होंगे और आपका ये बदसूरत चेहरा देखेंगे तो शायद वो भी शर्मिंदा होंगे इसलिए यही सही रहेगा कि हम आपसे दूर हो जाए मैं राशि को लेकर जा रहा हूं हम आज से अलग रहेंगे
पर सुमित बेटा मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी
मेरा तो जीवन तुमसे है
बेटा मेरी तो हर सुबह हर शाम तुम्हें देखकर ही होती है
तुम्हारे बिना मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी मेरे बेटे मुझे छोड़कर मत जाओ
सुमित सुलेखा की बात को नहीं मानता और राशि के साथ अलग घर में रहने चला जाता है सुलेखा सुमित के जाने से बहुत दुखी हो जाती है सुमित के बिना जीवन काटना सुलेखा के लिए एक सजा थी एक सुमित तो था जो उसके जीने की आस्था
सुमित के जाने से सुलेखा बीमार रहने लगी
उधर सुमित राशि के साथ दूसरे घर में रहने लगता है
एक दिन सुमित ऑफिस मैं होता है तभी उसे अचानक हार्ड अटैक हो जाता है
उसके मुंह से मां शब्द निकलता है
माँ बहुत दर्द है माँ
सुलेखा सुमित के गम बेहोशी की हालत मैं उसे याद कर रही थीं पड़ोस की श्यामा उसके साथ बेठी थी
ऐसा लग रहा है जैसे मेरे बेटे ने मुझे पुकारा हो जैसे किसी तकलीफ में हो
मैं आ रही हूं मेरे बेटे तू चिंता मत कर मैं आ रही हूं
क्या हुआ सुलेखा
अरे ये तो बेहोश की हालत में हो रही है और तेज बुखार भी है
लगता है इसे अस्पताल मैं ले जाना होगा
श्यामा मौसी कुछ लोगों की मदद से सुलेखा को अस्पताल ले जाती हैं वहां डॉक्टर सुलेखा का चेकअप करता है तभी एक नर्स वहाँ आती है
डॉक्टर एक इमरजेंसी केस आया है कोई मिस्टर सुमित है उनकी वाइफ मिसेज राशि उनके साथ है
मेरा बच्चा सुमित
डॉक्टर पहले आप उन्हें देखो मेरी चिंता मत करो
डॉक्टर सुमित को देखने लगता है वो राशि से कहता है
देखिए हमें एक हार्ट की जरूरत है इनका हार्ट पूरी तरह से डैमेज हो रहा है अगर इनका हार्ट नहीं बदला गया तो इनकी जान भी जा सकती है
ये सुनकर राशि रोने लगती है सुलेखा उसे रोते हुए देख लेती है वो नर्स से कहकर राशि को अपने पास बुलाती है
राशि रो मत बहु
मेरे होते हुए मेरे बच्चे पर आंच भी नहीं आ सकती
तुम चिंता मत करो
मां जी कौन देगा इतना जल्दी दिल
अगर सुमित को कुछ हो गया तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी मां जी
राशि रोते हुए सुमित के पास चली जाती है सुमित की तबीयत का सुनकर सुलेखा की तबीयत बिगड़ने लगती है उसके सास फूलने लगती है वो डॉक्टर से कहती है
डॉक्टर मुझे पता है मैं अब नहीं बचुगी
आप मेरा एक काम करना
मेरा ये दिल मेरे बच्चे को दे दो
मेरे सुमित को बचा लो डॉक्टर
मेरे सुमित को बचा लो डॉक्टर
सुमित को होश आ जाता है डॉक्टर उसे कहता है
गुड मास्टर सुमित अब कैसा फिल कर रहे हैं
आप बिल्कुल खतरे से बाहर है डॉक्टर ने कहा है आपको कुछ दिनों में छुट्टी मिल जाएगी
राशि मुझे किसने बचाया मुझे बताओ मुझे बताओ मेरी जिंदगी भर उनका बहुत बड़ा एहसान है
सुमित जब आपको अस्पताल लाया गया उसी वक्त आपकी माँ भी अस्पताल में थी । उन्होंने जब आपके बारे में सुना आज जो दिल आपके अंदर धड़क रहा है वो आपकी माँ जी का है
माँ इतना बड़ा बलिदान मुझ पापी के लिए क्यों माँ क्यों
मुझे माफी मांगने का हक भी नहीं दिया माँ मेरी जिंदगी बचाने के लिए तुमने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी माँ
मुझे माफ कर दो माँ मुझे माफ कर दो
सुमित बेटा तुम अपनी माँ के बलिदान का कर्ज़ जीवन भर नहीं चुका सकते
तुम अपनी माँ के चेहरे को बदसूरत कहते थे
उसे चेहरे पर जलने का निशान बचपन में तुम्हें आग से बचाते हुए सुलेखा को मिला था वो खुदा की चपेट में आ गई थी पर तुम्हारी माँ ने तुम्हे कुछ नहीं होने दिया
सुमित श्यामा मौसी की बात सुनकर बहुत रोता है
राशि भी अपने किये पर बहुत दुखी थी सुमित गंगा घाट पर मां की हस्तियों को तबाहित करता है
और हाथ जोड़कर क्षमा मांगता है सुलेखा ने एक बात साबित कर दी
एक मां का कर्ज बच्चे आजीवन नहीं चुका सकते
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