राधा टिना मोनू मौसी - राधा - शुशीला डॉक्टर - संकेत
Story : - माँ - राधा
बेटा - मोनू -- बाद में नाम - संकेत
Female - मौसी - 3 बेटी 1 > बड़ी बहन - टिना
नरेशन - यह कहानी है राधा की जिसके लिए उसका बेटा मोनू ही सब कुछ था वैसे तो मोनू सिर्फ 4 साल का था लेकिन फिर भी राधा को उससे बड़ी उम्मीदें थी क्योंकि अब बस वही उसके जीने का सहारा था
- मौसी - अरे ओ राधा चल जल्दी और कितनी देर है तुझे
राधा - आ रही हूं बस आ ही गई अब
हां चलो दीदी चल तो
मौसी - तू पर पहले यह बता यह मोनू तेरे साथ क्यों है
राधा - दीदी इसे कहां छोडूंगी
मौसी - ओहो घर पर ही छोड़ेगी और कहां जैसे मैं अपने बच्चे छोड़कर जाती हूं रोज
राधा - ना दीदी ना मेरा मोनू अभी बहुत छोटा है इसे अकेले कैसे छोड़ दूं अ ये वहां बिल्कुल परेशान नहीं करेगा सच्च में बड़ा समझदार है मेरा मोनू जहां बिठा दूंगी बस वहीं बैठा रहेगा और और इसका ये खिलौना भी तो है ये सारा दिन इसके साथ ही तो खेलता है वहां भी खेलता रहेगा
मौसी - नहीं राधा यह तेरा पहला काम है ना इसीलिए तू ऐसी बातें कर रही है यहां की मैडम को तू जानती नहीं अभी घर में वाली का आना तो मंजूर है पर साथ में उसके बच्चे का आना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता इन्हें
राधा - अरे तब तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी दीदी मैं अपने मोनू को अकेला छोड़कर तो नहीं जा सकती अब क्या करूं मैं
मौसी - तू परेशान मत हो ऐसा कर इसे मेरे घर पर छोड़ दे मेरी बड़ी बेटी टिना है वहां अपनी छोटी बहनों के साथ-साथ इसे भी संभाल लेगी
राधा - लेकिन दीदी अगर यह रोया तो
मौसी - बच्चे तो रोते ही हैं और फिर चुप भी हो जाते हैं देख राधा अब तेरा पति तो है नहीं कमाने के लिए तो तुझे ही सब देखना होगा ना और इसके लिए तुझे मोनू को भी थोड़ा मजबूत बनाना होगा
राधा के पति महेश को गुजरे अभी बस दो महिने ही हुआ था लेकिन इस दो महीने में ही सब कुछ बदल गया घर में जो भी पैसे थे व महेश के अंतिम संस्कार में
और फिर दो महीने के खाने पीने में खर्च हो गए अब राधा के पास खुद जाकर काम करने के सिवाय और कोई चारा नहीं था भारी दिल से वह मोनू को शुशीला के घर छोड़कर काम पर चली तो गई लेकिन उसका मन काम में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था
मालिकिन - अरे पानी कब से बह रहा है ध्यान कहां है तुम्हारा
राधा - अ माफ कर दीजिए मालकिन
मालिकिन - काम का पहला दिन है तुम्हारा और तुम ऐसे काम कर रही हो देखो अगर काम अच्छे से करोगी तभी मैं रखूंगी तुम्हें वरना नहीं
राधा - नहीं मालकिन दोबारा ऐसा नहीं होगा मुझे काम से मत हटाइए मुझे इस काम की बहुत जरूरत है अपने मोनू के लिए मुझे यह काम करना ही है
मालिकिन - ठीक है ठीक है अब वक्त बर्बाद मत करो और फटाफट सारा काम निपटा
राधा काम तो कर रही थी लेकिन उसे हर पल मोनू की चिंता खाए जा रही थी उधर मोनू का भी राधा के बिना रो रो कर बुरा हाल था वह पहली बार अपनी मां से इतनी देर के लिए दूर था और इसीलिए वो बस रोए ही जा रहा था
टिना - ओ कितना रोता है यह शायद इसे भूख लगी होगी
टिना - अ सुनो तुम दोनों जरा मोनू का ध्यान रखना मैं अभी रसोई से इसके लिए दूध लेकर आती हूं
अपनी छोटी बहनों पर मोनू की जिम्मेदारी छोड़कर टिना रसोई में चली गई और उसके जाते ही मोनू रोता हुआ घर से बाहर आ गया उसका खिलौना भी उसके हाथ में ही था टिना की छोटी बहने खेलने में मस्त थी तो उन्होंने मोनू पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया
4 साल का मासूम मोनू रोता हुआ मेन रो पर आ पहुंचा जहां बहुत तेज ट्रैफिक चल रहा था वह रोते हुए बस अपनी मां को ही पुकारे जा रहा था फिर अचानक वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा उधर राधा को जैसे ही मोनू के गायब होने का पता चला उसके पैरों तले जमीन ना रही
राधा - ये यह क्या कह रही हो दीदी कहां चला गया मेरा मोनू वो बस 4 साल का ही तो है इतना छोटा बच्चा अकेले कहां जा सकता है मैंने आपके भरोसे छोड़ा था उसे मुझे कुछ नहीं पता मुझे मेरा मोनू लाकर दो अभी लाकर दो अ
मौसी - माफ कर दे राधा टिना बता रही थी कि वह तुझे याद करके बहुत रो रहा था शायद तुझे ढूंढने ही निकल गया वह घर से
राधा और शुशीला ने आसपास का पूरा इलाका छान मारा लेकिन मोनू उन्हें कहीं दिखाई नहीं दिया पुलिस स्टेशन जाकर भी कोई फायदा नहीं हुआ मोनू का कहीं कोई अता पता नहीं था राधा पागलों की तरह दिन रात बस मोनू की तलाश में रहने लगी हालत यह हो गई कि ना तो अब उसे खाने की सुजती थी और ना ही पीने की
मौसी - तेरा मोनू मिल जाएगा राधा तू देखना तूने तीन दिनों से कुछ नहीं खाया ले अब खाना खा ले फिर मिलकर मोनू को ढूंढने चलेंगे
राधा - ये ये आलू की सब्जी है ना मेरे मोनू को बहुत पसंद है दीदी इसे ले जाकर रख दो जब मेरा मोनू आएगा तो उसे अपने हाथों से खिलाऊंगी हां ले जाओ इसे और ये पानी भी ले जाओ मेरे मोनू को प्यास भी तो लगी होगी ना
राधा के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे जिन्हे देखकर शुशीला घबरा गई उसने राधा से आगे कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप वहां से चली गई मोनू की याद में राधा ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया था अब ना तो वह काम पर जा रही थी और ना ही अपने घर बस दिन रात सड़कों पर घूमती हुई अपने मोनू को ही आवाज देती रहती थी ऐसे ही कई साल बीत गए
और बीतते वक्त के साथ राधा की हालत और भी बिगड़ती गई
मौसी - राधा आजा खाना खा ले देख मैंने आलू के पराठे बनाए हैं चल जल्दी से खा ले फिर तुझे दवाई भी तो खानी है
राधा - मोनू आजा जल्दी आजा बेटा देख आलू के पराठे हैं अब अपनी मां को और परेशान मत कर मोनू ओ मोनू देखो ना दीदी कितना बदमाश हो गया है कब से बुला रही हूं आता ही नहीं है पता नहीं कहां जाकर छिप गया है मेरे साथ छुपन छुपाई खेल रहा है
बस बस कर राधा बस कर पूरे 20 साल हो गए हैं मोनू को गए हुए होश में आ तू मान क्यों नहीं लेती कि तेरा मोनू अब नहीं आएगा कभी नहीं आएगा
राधा - वो क्या दीदी कुछ भी बोलती हो आप वो वो देखो वो वो आ गया मेरा मोनू आजा बेटा आ मेरी गोदी में बैठ जा आजा आजा
राधा को अब भ्रम होने लगा था कि मोनू उसके साथ है और यह देख कर राधा बहुत परेशान थी व कहीं ना कहीं मोनू के खोजने और शीला की इस हालत का जिम्मेदार खुद को मानती थी और इसीलिए उसने कभी शीला का साथ नहीं छोड़ा
फिर एक दिन
टिना - मां एक बार चलकर तो देखो यह बता रहे थे कि मालिक दिमाग के बहुत ही बड़े डॉक्टर हैं हो सकता है वह राधा मौसी को ठीक ही कर दें
मौसी - लेकिन टिना वह बड़े डॉक्टर हैं तो फीस भी तो बड़ी होगी ना
टिना - उनकी नहीं मां मालिक जितने बड़े आदमी हैं उतने ही भले इंसान भी हैं इन्होंने पहले ही सारी बात कर ली है वह राधा मौसी का इलाज मुफ्त में करने के लिए तैयार हैं
टिना जिस डॉक्टर की बात कर रही थी असल में उसका पति उन्हीं के घर पर मालिका काम करता था
मुफ्त में इलाज की बात सुनकर शुशीला राधा को लेकर फौरन उस डॉक्टर के घर पहुंच गई और फिर
डॉक्टर -
देखिए इनकी हालत लंबे समय से खराब है इन्हें ठीक होने में वक्त लगेगा और हां मुझे इन्हें हर वक्त अपनी ऑब्जर्वेशन में ही रखना होगा तो आप ऐसा कीजिए इन्हें कुछ दिनों के लिए मेरे घर पर ही रहने दीजिए यहां मैं और मेरी मां रहते हैं हम इनका बहुत अच्छे से ख्याल रखेंगे
डॉक्टर संकेत पर भरोसा करके शुशीला ने राधा को उनके पास छोड़ दिया और बस यहीं से राधा के नसीब ने करवट लेनी शुरू कर दी
डॉक्टर - देखिए अगर आप खाना नहीं खाएगी तो मैं भी नहीं खाऊंगा
राधा - कैसे नहीं खाएगा तू तो मेरा राजा बेटा है मेरा प्यारा मोनू है तू ले चल मुंह खोल जल्दी से खोल
यह बड़ी अजीब बात थी कि राधा ने जैसे ही डॉक्टर संकेत को पहली बार देखा तब से ही वह उन्हें मोनू कहकर पुकारने लगी डॉक्टर संकेत ने भी उसके इस भ्रम को नहीं तोड़ा क्योंकि वह इसी तरह राधा की दिमागी हालत को ठीक करने की कोशिश कर रहे थे हालांकि यह बात उनकी मां दुर्गा देवी को पसंद नहीं आ रही थी
माँ - संकेत तुम्हें जरूरत क्या है इस गरीब औरत का इलाज करने की ना तो तुम्हें इसके पैसे मिल रहे हैं और ना ही तारीफ तो फिर इसके पीछे क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो
डॉक्टर - नहीं मां कुछ बात तो जरूर है मुझे लगता है कि मैं इन्हें ठीक कर सकता हूं और जहां तक रही बात पैसों और तारीफ पाने की तो वह सब तो मैं पहले से ही कमा चुका हूं इनसे तो बस मेरा इंसानियत का रिश्ता है जिसे मैं पूरी जिम्मेदारी से निभाना चाहता हूं
डॉक्टर संकेत राधा का इलाज करते रहे और राधा की हालत पहले से बेहतर भी होने लगी वह अब अच्छे से खाने पीने लगी थी हालांकि डॉक्टर संकेत अब भी उसके लिए मोनू ही थे
फिर एक दिन
अरे मोनू देख मैं क्या ढूंढ कर लाई यह देख तेरा खिलौना तुझे याद है जब तेरे बाबा इसे तेरे लिए लेकर आए थे बस उसी दिन से यह तेरा सबसे प्यार खिलौना बन गया तू हर वक्त इसके साथ खेलता था इस हाथी की पूंछ पकड़कर इसे ऐसे ऐसे घुमाता था [हंसी]
तो राधा ने जो कुछ कहा वह सुनकर डॉक्टर संकेत और उनकी मां दुर्गा देवी सन्न रह गए असल में वह खिलौना डॉक्टर संकेत के बचपन का खिलौना था जिसे राधा उनके कमरे से बाहर ले आई थी हैरान करने वाली बात यह थी कि डॉक्टर संकेत बचपन में उस खिलौने से ठीक उसी तरह खेलते थे जैसे राधा बता रही थी यह सब देखकर दुर्गा देवी ने फौरन शुशीला को बुलवाया और फिर उससे राधा के बेटे मोनू के बारे में सब कुछ पूछा और फिर
माँ - संकेत बेटा तुम हमेशा पूछते थे ना कि तुम्हारी 4 साल की उम्र से पहले की कोई फोटो क्यों नहीं है हमारे पास तो आज तुम्हारे उस सवाल का जवाब देने का वक्त आ गया है बेटा असल में तुम ही मोनू हो और शीला ही तुम्हारी असली मां है 20 साल पहले तुम मुझे सड़क पर बेहोश मिले थे और तुमने उस वक्त यह खिलौना कसकर पकड़ा हुआ था मैं तुम्हें अपने साथ ले आई और तुम्हें वह सब देने की कोशिश की जिसकी तुम्हें जरूरत थी और तुमने भी बेटा बनकर मुझे हर वह खुशी दी जिसकी मैंने तुमसे उम्मीद लगाई लेकिन अब अब समय इस मां का है जो इतने सालों से तुम्हारा इंतजार कर रही है
सारी सच्चाई जानने के बाद डॉक्टर संकेत की आंखों में आंसू आ गए उन्होंने सबसे पहले जाकर राधा के पैर छुए और फिर उसे गले लगाते हुए कहा
संकेत - मैं आ गया मां तुम्हारा मोनू वापस आ गया और अब मैं कभी तुम्हें अकेला छोड़कर नहीं जाऊंगा
राधा अपने मोनू को गले लगाकर बस मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसे कुछ कहने की जरूरत ही नहीं थी यह उसके विश्वास की जीत थी जिसने उसकी बदनसीबी को खुशनसीबी में बदल दिया था
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