Posts

सोनू मोनू रामू शांति सेठ -

 रामू एक बहुत ही गरीब किसान था उसके पास अपनी तो कोई जमीन नहीं थी परंतु वो किसी के खेतों में काम किया करता था जिससे कि उसे थोड़ी बहुत तनख्वा मिल जाती थी और उनके घर का गुजारा चल जाता था रामू के घर में उसकी बीवी शांति और दो छोटे-छोटे बच्चे थे शांति बहुत ही समझदार औरत थी  कम तख्वा होते हुए भी वो घर को बहुत अच्छे से चलाती थी और थोड़े बहुत पैसे बचाकर बच्चों को स्कूल भी भेजती थी वो जानती थी कि पढ़ने कितना जरूरी है यदि उसके बच्चे अनपढ़ रह गए तो वो भी जीवन भर किसी की गुलामी करते रहेंगे   बस उन लोगो  की जिंदगी इसी तरह बीत  रही थी   जो थोड़े बहुत पैसे मिलते थे वे लोग उसी में ही खुश थे रामू के दोनों बच्चों के स्कूल में काफी दोस्त बन गए थे इसलिए वो बच्चे अपने दोस्तों के घर भी आते जाते थे एक दिन  दोनों बच्चे अपने दोस्त के घर गए जिनके पिताजी जमींदार थे उनका घर काफी बड़ा था और हर सुख सुविधा की चीज वहां पर थी उस समय गर्मी का मौसम था और स्कूल में गर्मी की छुट्टियां चल रही थी सोनू और मोनू जैसे ही अपने दोस्त के घर के अंदर घुसे तो वहां पर ठंडक महसूस हुई उन्हें बहुत अच्छा लगा  सोनू   -  अरे वा इनके घर में क

गरीब के घर AC

रामू एक बहुत ही गरीब किसान था  उसके पास  अपनी तो कोई  जमीन नहीं थी परंतु वो किसी के  खेतों में काम किया करता था जिससे कि उसे थोड़ी बहुत तख्वाह मिल जाती थी  और उनके घर का गुजारा चल जाता था      रामू के घर में उनकी बीबी शारदा और दो  छोटे-छोटे बच्चे थे   शारदा बहुत ही समझदार औरत थी   कम तख्वाह होते हुए भी वो घर को बहुत अच्छे से चलाती  थी  थोड़े बहुत    पैसे बचाकर बच्चों को स्कूल भी भेजती   थी वो जानती थी कि पढ़ना कितना जरूरी यदि उनके  बच्चे अन पढ़ रह गये तो वो  जीवन भर किसी की गुलामी करते रहेंगे बस उन लोगो  की जिंदगी इसी तरह बीत  रही थी     जो थोड़े बहुत पैसे  मिलते थे वे लोग उसी में खुश थे रामु  के दोनों बच्चों के स्कूल में काफी   दोस्तों बन गए थे इसलिए वो बच्चे अपने दोस्तो के घर भी आते जाते थे     एक  दिन   दो नो    बच्चे अपने दोस्त के घर गये जिसके  पिताजी जमींदार थे  उनका घर काफी  बड़ा था और हर सुख-सुविधा की चीज वहां पर  थी उस समय गर्मी का मौसम था और स्कूल में  गर्मी की छुट्टियां चल रही थी सोनू और मोनू जैसी ही अपने  दोस्त के घर के अंदर घुसे तो वहां पर ठंडक  महसूस हुई उन्हें बहुत अच्छा 

राधा टिना मोनू मौसी - राधा - शुशीला डॉक्टर - संकेत

Story : -    माँ  -  राधा                  बेटा -  मोनू      -- बाद में नाम - संकेत   Female - मौसी - 3 बेटी    1 > बड़ी बहन -  टिना      नरेशन  -    यह कहानी है राधा  की जिसके लिए  उसका बेटा  मोनू  ही सब  कुछ था वैसे तो मोनू  सिर्फ 4  साल का था लेकिन फिर भी राधा  को उससे बड़ी  उम्मीदें थी क्योंकि अब बस वही उसके  जीने का सहारा था   मौसी  -  अरे ओ राधा  चल जल्दी और  कितनी देर है तुझे    राधा -   आ रही हूं बस आ ही गई  अब  हां चलो दीदी चल तो    मौसी  -  तू पर पहले यह बता  यह  मोनू   तेरे साथ क्यों है    राधा   -  दीदी इसे कहां छोडूंगी   मौसी  -    ओहो घर पर ही छोड़ेगी और कहां जैसे मैं अपने बच्चे छोड़कर जाती हूं रोज   राधा   -   ना दीदी ना मेरा  मोनू   अभी बहुत छोटा है इसे अकेले कैसे छोड़ दूं अ ये वहां बिल्कुल परेशान नहीं करेगा सच्च में बड़ा समझदार है मेरा  मोनू  जहां बिठा दूंगी बस वहीं बैठा रहेगा और और इसका ये खिलौना भी तो है ये सारा दिन इसके साथ ही तो खेलता है वहां भी खेलता रहेगा   मौसी  -      नहीं राधा यह तेरा पहला काम है ना इसीलिए तू ऐसी बातें कर रही है यहां की     मैडम को तू जानत
 चाचा   :  -   अरे तू पागल हो गई है क्या रिया को मार डालेगी क्या चाचा  :  -   पूनम मैं सोच रहा था कि अब रिया की शादी कर देते हैं   भाभी के गहने संभाल कर रखे हुए हैं ना चाचा  :  -     पूनम तू पागल हो गई है नेहा जी का बेटा दिमागी तौर पर ठीक नहीं है तो फिर भी  तू  चाहती है कि रिया की शादी उससे हो जाए गुंडा    :   -    जी आपका नाम रिया है ना आपके चाचा जी वहां पहाड़ के पास बैठे हैं वो आपसे मिलने आ रहे थे अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई उन्होंने मुझे आपको बुलाने के लिए भेजा है गुंडा    :     -   अरे इतनी भी क्या जल्दी है पहले थोड़ा करीब तो आओ गुंडा    :     -     तुम खुद ही तो मुझे यहां लाई हो तुम ही तो मुझे कह रही थी कि तुम्हारा पति पागल है तुम उससे खुश नहीं हो कितने दिनों से तो तुम मुझे यहां ला रही हो ये देखो ये हीरो का हार तुम हीं तो मुझे दिया था और कहा था कि इसे बेचकर हम भाग जाएंगे 40 साल का आदमी   :    -   लगता है हमसे कोई भूल हुई है हमने मां दुर्गा का दिल दुखाया है तभी मां दुर्गा आज हमसे बदला ले रही है तभी उनकी आंखों में आंसू है आज हमें उनके क्रोध से कौन बचाएगा गुंडा    :    -    मुझे माफ

चाची : - बेटी : - चाचा : - सासू मां : - रिया की जेठानी : - रिया बहू : -

चाची  :  -   मनहूस है तू मनहूस सुबह-सुबह तेरी शक्ल देख ली अब पूरा दिन खराब होगा पैदा होते ही तेरे माँ-बाप को खा गई चल  जा बेटा अंदर जा इसके साथ कहीं मत जाया कर   गांव के लोग जिस मासूम को मनहूस कहकर ताने सुना रहे हैं उस मासूम का नाम है रिया रिया जब पैदा हुई तो उसकी मां चल बसी और कुछ समय बाद चिंता और बीमारी से उसके पिता भी चल बसे रिया अपनी दादी और चाचा चाची के साथ रहती है रिया  की दादी शुरू से उसे मां दुर्गा के बारे में बताती आई है जब कभी रिया दुखी होती है उसकी दादी उसे मां दुर्गा का ध्यान करने के लिए कहती है बेटी  :  -   दादी सब मुझे मनहूस कहकर बुलाते हैं गांव के सब लोग मुझे इसी नाम से  पुकारते हैं दादी  :  -   मेरी बच्ची तू किसी की बात का बुरा मत माना कर तू मां दुर्गा का ध्यान कर उनकी पूजा में मां दुर्गा सारे दुखों को हरने वाली है मेरी बच्ची रिया मां दुर्गा से प्रार्थना कर रही थी कि पीछे से उसकी चाची जाकर उसके कान में मरोड देती है चाची   :  -   अच्छा तो कामचोर यहां बैठी है पूरे घर का काम ऊपर से तेरे मां-बाप आकर करेंगे चल उठ यहां से बेटी    :  -     चाची मां बापू को गलत मत बोलो जो कहना

Background Character

 पालनपुर गांव में इमरान नाम का एक बिरयानी वाला था इमरान इतनी स्वादिष्ट बिरयानी बनाता था कि उसके गांव के साथ-साथ उसके पास के गांव के लोग भी उसकी बिरयानी खाने आया करते थे एक दिन एक ग्राहक आता है और कहता है इमरान कुछ दिन के लिए अपनी बीवी और बच्चों के साथ शहर शादी में चला जाता है कुछ दिन वहां बिताने के बाद वापस गांव जाने के लिए जब रेलवे स्टेशन पर जाता है तो उनकी ट्रेन 6 घंटे लेट हो जाती है इस बीच उन तीनों को बहुत तेज भूख लगती है तभी इमरान  रेलवे स्टेशन के बाहर कुछ खाने पीने के लिए ढूंढता है वहां एक बिरयानी का रेस्टोरेंट दिखाई देता है वो अपनी बीवी बच्चों को लेकर उस रेस्टोरेंट में चला जाता है वो सभी मन मार कर बिरयानी खा लेते हैं लेकिन जब बिरयानी का बिल देखे हैं तो उनके होश उड़ जाते हैं और इमरान कहता है इमरान बिल के पैसे देता है इमरान जब गांव वापस आता है तो मन ही मन सोचता है ये सोचकर इमरान अपनी बिरयानी के दाम बढ़ा देता है ग्राहक उसकी दुकान पर आते तो अचानक बिरयानी का दाम बड़ा हुआ देखकर उसे पूछने लगते हैं ग्राहकों की ऐसी बातें सुनकर उसको खुद पर घमंड आ जाता है  ये सोचकर धीरे-धीरे उसके मन का लालच